पुस्तक समीक्षा: मानव मस्तिष्क के गूढ़ रहस्यों पर ‘दि इनफनाइट माइंड’ में रोचक खुलासे
प्रयागराज: उत्तर मध्य रेलवे के चीफ ऑपरेशन्स मैनेजर रवि वल्लूरी की किताब 'दि इनफनाइट माइंड' की चर्चा है। लेखक अंकुश गर्ग के साथ रवि वल्लूरी ने इस किताब पर कड़ी मेहनत करते हुए मानव मस्तिष्क की क्षमताओं पर गहरे व्यावहारिक प्रयोगों की चर्चा की है।
मानव मस्तिष्क की सीमाओं और क्षमताओं के बारे में पुस्तक में गहराई से समझाया गया है। वल्लूरी के मुताबिक हमारे दिमाग में सुसुप्तावस्था में कई कारगर तंतु हैं। जिन्हें सक्रिय किया जा सकता है। जिसके बाद इंसान अधिक ऊर्जावान महसूस करेगा जिसकी अनंत सीमाएं हो सकती हैं।
रवि वल्लूरी ने दावा किया कि भले हमने चांद पर पांव धर लिया है। बावजूद इसके अपने ही मस्तिष्क को पूरी तरह समझने में हम विफल हैं।
छोटा या बड़ा काम हो, हम अपने दिमाग का इस्तेमाल तो करते हैं, लेकिन इस बात से सभी अनजान हैं कि मस्तिष्क के पूर्ण इस्तेमाल से हम अपने लक्ष्यों को आसानी से साध सकते हैं।
'दि इनफनाइट माइंड' किताब में पूरी प्रक्रिया समझाई गई है। जिसके जरिए हम अपने दिमाग और समझ को धारदार बना सकते हैं।
वल्लूरी ने दावा किया कि अगर हम अपने दिमाग को सही दिशा में प्रेरित करेंगे तो अपने जीवन में ज्यादा खुशियां प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही हमारा स्वास्थ्य भी बेहतर होगा।
इस किताब में मस्तिष्क को और तीक्ष्ण बनाने के उपायों पर बखूबी चर्चा की गई है। किताब के बारे में बात करते हुए वल्लूरी ने कहा कि जिंदगी में चमत्कार तभी होते हैं, जब दिमाग से विचारों की उत्पत्ति होती है। लिहाजा हमें खुद के मस्तिष्क और उससे निकलने वाले विचारों को नियंत्रित करने की जरूरत है।
कई बार हमारे जीवन में कुछ आकस्मिक और अद्भूत हम महसूस करते हैं। जिसके बारे में हमें खुद भी पता नहीं होता कि आखिर ये कैसे हो गया? इन सवालों पर इस किताब ने बेहतर दृष्टिकोण पेश किया है।
किताब के मुताबिक हमारा दिमाग हमारी संवेदनाओं और विचारों को नियंत्रित करता है। याद रखने की क्षमता और हमारी एकाग्रता भी मस्तिष्क पर ही निर्भर है। मतलब ये कि हम अपने दिमाग को मजबूत कर अपनी क्षमताओं में आसानी से इजाफा कर सकते हैं।
किताब में उन परिस्थितियों का हवाला दिया गया है जब परीक्षा के दौरान हमारा मस्तिष्क बेहद सक्रिय होता है। अगर हमने साल भर पढ़ाई नहीं की है तो दिमाग का सारा जोर आशंकाओं से घिरा होगा कि हम पास होंगे या नहीं? या फिर बेहतर कॉलेज में एडमिशन मिल पाएगा या नहीं? वहीं अगर हमने साल भर नियमित पढ़ाई की है तो मस्तिष्क की एकाग्रता पूरी तरह विषयवस्तु पर होगी और परीक्षा में हम बेहतर स्कोर कर सकेंगे।
किताब में उन अभिभावकों को भी मार्गदर्शन मिलता है जो अपने बच्चों के गुणों को पहचाने बिना उनसे ब्यूरोक्रैट, डॉक्टर, इंजीनियर बनने की उम्मीद पाले रहते हैं। जबकि मां बाप बच्चों की मानसिक अभिरुचि को दरकिनार करते हुए उसकी क्षमताओं को कुंद कर देते हैँ। हर बच्चे की खास खूबियां होती हैं। अगर कोई पढ़ाई लिखाई में कमतर है तो हो सकता है उसकी किसी अन्य क्षेत्र में अभिरुचि हो जिसे अभिभावक समझ नहीं पाते हैं।
इंसान के मस्तिष्क को समझाते हुए रवि वल्लूरी ने अपनी किताब में लिखा है कि मानव मस्तिष्क दो भागों में बंटा होता है। दिमाग का बांया हिस्सा तार्किक अभिव्यक्ति का निर्माण करता है जबकि दायां हिस्सा हमारी कलात्मक और संरचनात्मक अभिरुचियों को जाहिर करता है।
अगर किसी शख्स का बायां हिस्सा अधिक संपुष्ट है तो जाहिर है उसकी रुचि तार्किक विषयों मसलन विज्ञान और संबंधित करियर की तरफ होगा। जबकि जिनके दिमाग का दायां हिस्सा अधिक सक्रिय है उनका कलात्मक कार्यक्षेत्र की तरफ झुकाव होगा।
महान वैज्ञानिक आइंस्टीन की खासियत थी कि उनके दिमाग का दोनों ही हिस्से समान रूप से सक्रिय थे। जिसके दम पर आइंस्टीन ने खुद को बहुमुखी प्रतिभा का धनी साबित किया।
'दि इनफनाइट माइंड' किताब में ये सुझाया गया है कि शिक्षक और अभिभावक अपने बच्चों की अभिरुचियों को कम उम्र में ही समझने की कोशिश करें। साथ ही इसी के मुताबिक वो अपने बच्चों को किसी खास करियर के प्रति प्रोत्साहित करें।
इच्छित सफलता हासिल करने के लिए अपने दिमाग को सक्रिय करना बेहद जरूरी है। कुछ खास क्रियाओं और प्रयासों से हम अपने दिमाग को और तेज व धारदार कर सकते हैं। ताकि हमारा मस्तिष्क अधिक एकाग्र, याद रखने वाला और तेजी से समझने वाला बन सके।
कुल मिलाकर 'दि इनफनाइट माइंड' किताब पढ़कर आप मानव मस्तिष्क के गूढ़ रहस्यों से वाकिफ हो सकेंगे। साथ ही किताब में आपको कई ऐसे सलाह मिलेंगे जिसे अपनाकर आप स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
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